Rajeev Saxena
माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।
Saturday, April 4, 2009
नादान
मुझको तो मालूम नहीं
तुमको खबर है क्या ?
लोग
कहते हैं कि
नादान है वो......!!!
1 comment:
Udan Tashtari
April 4, 2009 at 9:30 PM
सुना तो है!!
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सुना तो है!!
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