किसी ने क्या खूब कहा था.....
"घर से निकलो छाँव न छोडो,
मझधार में नाव न छोडो
हार-जीत एक अलग बात है
सो तुम अपना दांव न छोडो ..."
बेइंतेहा खामोश थी
उसकी हसरतें,
लोग फ़िर भी क्यूँ उन्हें
कुचलते चले गए...!! "तन्हा"
"वो सायादार पेड़ था
ज़माने के काम आया ,
जब सूखने लगा तो
जलाने के काम आया...!!!"