माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।

Friday, March 6, 2009

सोचो...सोचो...सोचो...!!!

सोचो...
क्या कहा था,
डूबने वाले ने
मरते दम...
कि लहरें आज तक
किनारे पे,
अपना सर पटकती हैं.....!!!

6 comments:

  1. कुछ बहुत गूढ़ बात कही होगी जो समझ नहीं आई होगी या फिर कुछ अधिक ही लज्जित करने वाली।
    कविता बहुत पसन्द आई।
    घुघूती बासूती

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  2. सच में-आज तक लहरें सर पटक रहीं हैं.

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  3. बहुत खूब ..बहुत बढ़िया

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  4. Thank you so much 2 all of you...thanx again..

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  5. that really gr8 sir

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