माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।

Monday, March 2, 2009

चैन-बेचैन

कभी घबरा के ना कहना कि "मर जायेंगे"
मर के मिला चैन तो किधर जायेंगे.....!!!

2 comments:

  1. सुन्दर शेर . धन्यवाद.

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  2. Its nice to see you on blog. I hope you will share to we all about your vast experience of life. again welcom.
    thanks
    vijay sharma

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