Rajeev Saxena
माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।
Thursday, March 5, 2009
...फ़िर भी ...!!!
"वो सायादार पेड़ था
ज़माने के काम आया ,
जब सूखने लगा तो
जलाने के काम आया...!!!"
1 comment:
mehek
March 5, 2009 at 7:26 PM
waah,sahi,bahut khub
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