Rajeev Saxena
माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।
Tuesday, March 3, 2009
सौगात
"
दर्द
उनसे
जो
मिले
,
सीने
में
छुपा
कर
रख
लो
,
इससे
बढ़
कर
कोई
सौगात
नहीं
होती
है
....!!!"
2 comments:
Satish Chandra Satyarthi
March 3, 2009 at 4:49 AM
achchh likha hai.
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Udan Tashtari
March 3, 2009 at 6:46 AM
बहुत खूब!!
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achchh likha hai.
ReplyDeleteबहुत खूब!!
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