माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।

Sunday, March 1, 2009

शुक्रिया-शुक्रिया

मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आप सबका शुक्रिया.....

2 comments:

  1. बहुत जानदार लिखते हैं आप राजीव जी.
    आगे भी आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा

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