Rajeev Saxena
माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।
Sunday, March 1, 2009
शुक्रिया-शुक्रिया
मेरा
हौसला
बढ़ाने
के
लिए
आप
सबका
शुक्रिया
.....
2 comments:
Udan Tashtari
March 1, 2009 at 9:25 PM
धन्यवाद!! :)
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Satish Chandra Satyarthi
March 2, 2009 at 12:33 AM
बहुत जानदार लिखते हैं आप राजीव जी.
आगे भी आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा
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धन्यवाद!! :)
ReplyDeleteबहुत जानदार लिखते हैं आप राजीव जी.
ReplyDeleteआगे भी आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा