माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है। माना कि मुक़द्दर का लिखा अपनी जगह है, फिर भी तो फकीरों की दुआ अपनी जगह है, मैं हर रोज़ इसी पेज के कोने में मिलूँगा वैसे तो मेरा असली पता अपनी जगह है।

Tuesday, March 17, 2009

किसी ने क्या खूब कहा था.....

"घर से निकलो छाँव न छोडो,

मझधार में नाव न छोडो

हार-जीत एक अलग बात है

सो तुम अपना दांव न छोडो ..."

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